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मोकावत कछवाहा सूर्यवंशी राजपूत Mokawat kachhwaha Suryawanshi Rajput

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Kachhwaha rajvansh ka itihas कछवाहा राजवंश का इतिहास

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कछवाहों की उत्पति:- इस सांसारिक जीवन में जातियाँ और मनुष्य अपने पूर्वजों के इतिहास से शिक्षा व प्रेरणा लेकर जीवन निर्वाह करते हैं एवं अपने उज्जवल भविष्य का निर्माण स्वविवेक से करते हैं। हम कौन थे, हमारा वैभव क्या था? हमारे पूर्वज कैसे थे, हमारी संस्कृति और सभ्यता कैसी थी?  उपरोक्त ज्ञान  इतिहास का अध्ययन  करने  से प्राप्त  होता है। कछवाहा वंश इतिहास में प्रसिद्ध क्षत्रिय सूर्यवंशी राजपूत राजवंश की एक (खाप) शाखा  है। कछवाहों(राजपूतों) की उत्पति कहाँ से और कैसे हुई ? मान्यता है की यह कुल राम के पुत्र कुश से उत्पन्न हुवा है। कछवाह वंश अयोध्या राज्य के सूर्यवंशी राजाओ की एक शाखा है। भगवान श्री रामचन्द्र जी के ज्येष्ठ पुत्र कुश से इस वंश (शाखा) का विस्तार हुआ है । अयोध्या राज्य पर कुशवाह वंश का शासन रहा है। अयोध्या राज्य वंश में ''इक्ष्वाकु'' दानी ''हरिशचन्द्र'', ''सगर'' (इनके नाम से सगर द्वीप जहाँ गंगासागर तीर्थ स्थल है), पितृ भक्त ''भागीरथ '', गौ भक्त ''दिलीप '', ''रघु'' सम्राट ''दशरथ...

कछवाहा राजवंश की खांप/शाखाएं kachhwaha rajvansh ki khanp/shakhaen

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कछवाहों की खापें निम्न है:- 1.देलणोत , 2.झामावत , 3.घेलणोत, 4.राल्णोत , 5.जीवलपोता , 6.आलणोत (जोगी कछवाहा), 7.प्रधान कछवाहा ,  8.सावंतपोता,  9.खीवाँवात ,  10.बिकसीपोता, 11.पीलावत , 12.भोजराजपोता (राधर का,बीकापोता ,गढ़ के कछवाहा,सावतसीपोता), 13.सोमेश्वरपोता, 14.खींवराज पोता, 15.दशरथपोता, 16.बधवाड़ा, 17.जसरापोता,  18.हम्मीरदे का ,  19.भाखरोत,  20.सरवनपोता, 21.नपावत, 22.तुग्या कछवाहा, 23.सुजावत कछवाहा, 24.मेहपाणी ,  25.उग्रावत ,  26.सीधादे कछवाहा,  27.कुंभाणी ,  28.बनवीरपोता, 29.हरजी का कछवाहा, 30.वीरमपोता,  31.मेंगलपोता,  32.कुंभावत,  33.भीमपोता या नरवर के कछवाहा, 34.पिचयानोत , 35.खंगारोत, 36.सुल्तानोत,  37.चतुर्भुज,  38.बलभद्रपोत,  39.प्रताप पोता,  40.नाथावत,  41.देवकरणोत, 42.कल्याणोत,  43.रामसिंहहोत, 44.साईंदासोत, 45.रूप सिंहसोत, 46.पूर्णमलोत ,  47.बाकावत , 48.राजावत, 49.जगन्नाथोत, 50.सल्देहीपोता, 51.सादुलपोता 52.सुंदरदासोत, 53.नरुका, 54.मेलका, 55.बालापोता, 56.शेखावत,  57.करणावत ,...

Admiral Vijay Singh Mokawat एडमिरल विजय सिंह मोकावत

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एडमिरल विजय सिंह मोकावत पुत्र श्री लेफ्टिनेंट कर्नल धर्मपाल सिंह मोकावत चितौसा(झुंझुनूं) के निवासी थे।इनके(विजय सिंह) के दादोसा अपने ननिहाल भिवानी गोद चले गये थे।ले. कर्नल धर्मपाल सिंह मोकावत ने अपनी फौजी सेवा के दौरान अच्छी ख्याति अर्जित की थी। इन्हीं के पुत्र विजय सिंह मोकावत बी.ए करने के बाद 1952 ई. में भारतीय नौसेना में भर्ती हुए। प्रशिक्षण में प्रत्येक क्षेत्र में प्रथम रहने के कारण राष्ट्रपति प्रदत स्वर्ण पदक प्राप्त किया।1971 ई. के भारत-पाक युद्ध में तीसरी पनडुब्बी 'करंज' को कुशलतापूर्वक कमान किया।इस युद्ध में अपनी कार्यवाहियों से शत्रु को भयभीत रखा, इसलिये उनको वीर चक्र प्रदान किया गया। अपने साहसपूर्ण कार्यों के कारण विजय सिंह मोकावत 1988 ई. में वाइस एडमिरल के पद पर पहुंचे। 1984 ई. में अति विशिष्ट पदक प्राप्त किया एवं 2 सितम्बर 1993 को नौसेना के सर्वोच्च पद, एडमिरल के पद पर पहुंचे। शेखावाटी में मणकसास, केरपुरा, पूनिया,बिरमी,सोटवारा, सिरोही,झाझड़,बेरी, नारी,कारी,भगेरा,चितौसा,ईस्माइलपुर की ढाणी(चिड़ावा),नयासर,सिरियासर,रामसिसर,मोमासर, खारिया,मंडावा, मुकुंदगढ़,चिराणी,पिलानी...

मोकावत वंशावली Mokawat vanshavali

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मोकावत कछवाह राजपूत - सूर्य वंश - कछवाह - शाखा - मोकावत कछवाह मोकावत कछवाह:- महाराज मोकमजी के वंशज मोकावत कछवाह कहलाते है।महाराज मोकमजी बालाजी के पुत्र व महाराज उदयकरणजी के पौत्र थे।राव बालाजी महाराज उदयकरणजी के तिसरे पुत्र थे। मोकावत कछवाहोँ का पीढी क्रम इस प्रकार है :- मोकमजी(मोकाजी) - बाला जी - उदयकरण जी - जुणसी जी (जुणसी, जानसी, जुणसीदेव जी, जसीदेव) - जी - कुन्तलदेव जी – किलहन देवजी (कील्हणदेव,खिलन्देव) - राज देवजी - राव बयालजी (बालोजी) - मलैसी देव - पुजना देव (पाजून, पज्जूणा) – जान्ददेव - हुन देव - कांकल देव - दुलहराय जी (ढोलाराय) - सोढ देव (सोरा सिंह) - इश्वरदास (ईशदेव जी) ख्यात अनुसार मोकावत कछवाहोँ का पीढी क्रम ईस प्रकार है :- 01 - भगवान श्री राम - भगवान श्री राम के बाद कछवाहा (कछवाह) क्षत्रिय राजपूत राजवंश का इतिहास इस प्रकार भगवान श्री राम का जन्म ब्रह्माजी की 67वीँ पिढी मेँ और ब्रह्माजी की 68वीँ पिढी मेँ लव व कुश का जन्म हुआ। भगवान श्री राम के दो पुत्र थे –               01 - लव               02 - कुश रामाय...

Mokawaton ke gotra-pravaradi मोकावतों के गौत्र-प्रवरादि

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मोकावतों के जानने योग्य बातें:- वंश- सूर्यवंश राजपूत- कछवाहा (कुशवाहा) गोत/शाखा- मोकावत गौत्र- मानव्य(मानव) कुलदेवी- श्री जमुवाय माता जी कुलदेवता- भगवान श्रीराम इष्टदेवी- श्री जीण माता जी इष्टदेव- श्री गोपीनाथ जी गुरु- वशिष्ठ वेद- सामवेद मंत्र- गायत्री गायत्री- ब्रह्मा सुत्र- गोभिल नदी- सरयू नगारा- रणजीत डंका- बानासुर घौड़ा- सावकरण घौड़ी- उच्चैश्रवा हाथी- ऐरावत तलवार- मनोहर भैरु- मण्डावरा कंठी- भागवती माला- वैजयंती तिलक- केशर धज्जा- भुराहस्ती धूणी- चत्तरकोट जनेऊ- सब पहाड़- जूनागढ़ वृक्ष- बरगद(बड़ का पेड़) झाड़ी- खेजड़ी पक्षी- कबुतर धोती/वस्त्र- पीताम्बरी शाखा- मध्यादिनी/मारधुनिक धनुष- सारंग क्षत्र- श्वेत निशान- ध्वज(पंचरंगा) ध्वज में रंग- लाल,पीला,सफेद,हरा और नीला भोजन- सुर्त गिलास- सुख प्रमुख गद्दी - नरवरगढ़ और जयपुर पुरोहित- खाथड़िया(पारिक) अभिनन्दन/प्रणाम- जय श्री गोपीनाथ जी की/जय श्री रघुनाथ जी की/जय श्रीराम जी की